कैसे खुशियों के नाम लिखूँ
नए साल की नई शाम में
नई कलम से राम लिखू,
चँदा, तारे,गगन - किनारे,
या फिर तेरे नाम लिखूँ,
कुछ क्षण सोचा अधीर हो,
फिर मन ये सोच में पड़ बैठा,
ग़म वो पुराने मिटे कहाँ,
जो मैं खुशियो के नाम लिखूँ...?
ठोकर खाते आज भी गुज़रा,
कोई कमाई नही मिली,
पैसे आज भी कम थे मेरे,
माँ की दवाई नही मिली..
कैसे भूलू पिता के आँसूं,
कैसे सुखद आगाम लिखूँ,
ग़म वो पुराने मिटे कहाँ जो,
मैं खुशियो के नाम लिखूँ,
वही रोज़ की तू-तू,...
नई कलम से राम लिखू,
चँदा, तारे,गगन - किनारे,
या फिर तेरे नाम लिखूँ,
कुछ क्षण सोचा अधीर हो,
फिर मन ये सोच में पड़ बैठा,
ग़म वो पुराने मिटे कहाँ,
जो मैं खुशियो के नाम लिखूँ...?
ठोकर खाते आज भी गुज़रा,
कोई कमाई नही मिली,
पैसे आज भी कम थे मेरे,
माँ की दवाई नही मिली..
कैसे भूलू पिता के आँसूं,
कैसे सुखद आगाम लिखूँ,
ग़म वो पुराने मिटे कहाँ जो,
मैं खुशियो के नाम लिखूँ,
वही रोज़ की तू-तू,...