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दर्द की कहानी: इश्क़ के रास्ते में
""मेरे दुःख पर दो आंसू बहा दे कोई,
आग सीने की कुछ तो बुझा दे कोई,,
चलते चलते क़दम लड़खड़ाने लगे,
प्यार से हाथ अपना बढ़ा दे कोई,,
दिल ये मायूस होने लगा है मेरा,
इश्क़ की राह में हौसला दे कोई,,
इश्क़ का धर्म कोई नहीं दोस्तों,
है अगर तो मुझे भी बता दे कोई,,
नफरत जलाती है इंसानियत,
जाकर इसे भी जला दे कोई,,
बातिलों की ज़बां बंद हो जाएगी,
धूम सच्चाइयों की मचा दे कोई...""
© Mayank Pratap Mishra
आग सीने की कुछ तो बुझा दे कोई,,
चलते चलते क़दम लड़खड़ाने लगे,
प्यार से हाथ अपना बढ़ा दे कोई,,
दिल ये मायूस होने लगा है मेरा,
इश्क़ की राह में हौसला दे कोई,,
इश्क़ का धर्म कोई नहीं दोस्तों,
है अगर तो मुझे भी बता दे कोई,,
नफरत जलाती है इंसानियत,
जाकर इसे भी जला दे कोई,,
बातिलों की ज़बां बंद हो जाएगी,
धूम सच्चाइयों की मचा दे कोई...""
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