कान्हा प्रेम
कान्हा क्यूँ तू पल-पल सताए है,
कभी दिखे स्वपन में तो कभी सामने ना आए है,
मधुर गूंज मुरली की चहुँ ओर सुनाए जाए है,
गोपियाँ ताके वृन्दावन में तो,
मोर...
कभी दिखे स्वपन में तो कभी सामने ना आए है,
मधुर गूंज मुरली की चहुँ ओर सुनाए जाए है,
गोपियाँ ताके वृन्दावन में तो,
मोर...