कान्हा प्रेम
कान्हा क्यूँ तू पल-पल सताए है,
कभी दिखे स्वपन में तो कभी सामने ना आए है,
मधुर गूंज मुरली की चहुँ ओर सुनाए जाए है,
गोपियाँ ताके वृन्दावन में तो,
मोर पपीहा निधिवन में बाट लगाए हैं ॥
तुझ बिन मैं अधूरी कान्हा, तू ही दिल को भाए है,
राधे राधे तू भी पुकारे जाने क्यूँ अजमाए है ॥
हृदय पुष्प अर्पित करूँ मुरली जो तू बजाए है,
थिरकती जाऊँ बावरी बन नेह से नेह जो तू मिलाए है
© RUMANN MANCHNDA
कभी दिखे स्वपन में तो कभी सामने ना आए है,
मधुर गूंज मुरली की चहुँ ओर सुनाए जाए है,
गोपियाँ ताके वृन्दावन में तो,
मोर पपीहा निधिवन में बाट लगाए हैं ॥
तुझ बिन मैं अधूरी कान्हा, तू ही दिल को भाए है,
राधे राधे तू भी पुकारे जाने क्यूँ अजमाए है ॥
हृदय पुष्प अर्पित करूँ मुरली जो तू बजाए है,
थिरकती जाऊँ बावरी बन नेह से नेह जो तू मिलाए है
© RUMANN MANCHNDA