...

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चाहत के उसूल
माना जुदा हमारे तुम्हारे अब इस ज़िन्दगी के रास्ते रहेंगे,
पर ये क्या कम है जो तुम हमें हम तुम्हें याद आते रहेंगे।

बड़ा लंबा सफ़र तय किया हमने रूह से रूह तक आने में,
पर रूह में रह कर भी अब दरमियान हमारे फ़ासले रहेंगे।

कभी मेरी याद आए तो आँसू न बहाना तुम्हें मेरी कसम,
क़यामत तक तुझ संग दूरियों में भी रिश्ता निबाहते रहेंगे।

आधी गुज़र गई जो बचीं है गुज़ार देंगे तेरी यादों के सहारे,
कभी दूर न करेंगे तुझे याद कर इस दिल में बसाहते रहेंगे।

नहीं जानते "पुखराज" चाहत के उसूल पर यह जानते है,
तुम्हें चाहते थे, तुम्हें चाहते है और तुम्हें यूँ ही चाहते रहेंगे।
© पुखराज