...

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प्रिय रेल ( सफ़र -ऐ-जिंदगी )
#TrainJourney
इस रेल ने ना जाने,
कितनी कहानियाँ छिपायी होंगी,

कितने सफर खूबसूरत बनाऐ होंगे,
कितने मुसाफिरों की मंजिलें मिलायी होंगी,
इस रेल ने ना जाने,
कितनी कहानियाँ छिपायी होंगी।

कितने किस्से बने होंगे ,
स्टेशनों के इंतजार के वक्त.....।
आज फिर इस रेल की आवाज़ ने
कितनी यादें दोहरायी होंगी।

इस रेल ने ना जाने,
कितनी कहानियाँ छिपायी होंगी…

कितनों को उनके घर मिले होंगे, कितने बेघर हुए होंगे,
इन दरवाजों ने ना जाने,कितने अजनबियों को अपनाया होगा।
कितने मुसाफ़िर गुम हुए होंगे, इस सफ़र -ऐ- भीड़ में,
कितनों को नई मंज़िलें दिलायी होंगी।

इस रेल ने ना जाने,
कितनी कहानियाँ छिपायी होंगी।।