कीचड़...
वो आते है....
अपने पास रखी हुई कीचड़...
मुझ पर उछालते है....
और फिर???
किसी बेगुनाह के पल्लू के पीछे जाकर छिप जाते है....
और फिर??मैं कुछ नहीं कर पाती...
क्योंकि,किसी बेगुनाह को सज़ा देना...
मेरे बस की बात...
अपने पास रखी हुई कीचड़...
मुझ पर उछालते है....
और फिर???
किसी बेगुनाह के पल्लू के पीछे जाकर छिप जाते है....
और फिर??मैं कुछ नहीं कर पाती...
क्योंकि,किसी बेगुनाह को सज़ा देना...
मेरे बस की बात...