सबके संग रम जाते कृष्ण
#छंदमुक्त कविता
#दिनांक:-26/8/2024
#शीर्षक:- सबके संग रम जाते कृष्ण।
अँखियन मिचत रोवत आवे कृष्ण,
नटखट कान्हा खूब ही भावे कृष्ण ।
माँ पुकार से जियरा हरसाये कृष्ण,
घुटुरन बकैया-बकैया मनभावे कृष्ण ।।
माटी मुँह, रज चंदन देह में लपेटे कृष्ण,
क्रीड़ा करत मित्र ब्रज वीर समेटे कृष्ण ।
मुग्ध गोपियन, मुग्ध मैया, बाबा है कृष्ण,
पशु-पक्षी मुग्ध हो हरि से लिपटे कृष्ण ।।
मामा कंस को बहुत खिझाते कृष्ण,
राधा गोपियों को...
#दिनांक:-26/8/2024
#शीर्षक:- सबके संग रम जाते कृष्ण।
अँखियन मिचत रोवत आवे कृष्ण,
नटखट कान्हा खूब ही भावे कृष्ण ।
माँ पुकार से जियरा हरसाये कृष्ण,
घुटुरन बकैया-बकैया मनभावे कृष्ण ।।
माटी मुँह, रज चंदन देह में लपेटे कृष्ण,
क्रीड़ा करत मित्र ब्रज वीर समेटे कृष्ण ।
मुग्ध गोपियन, मुग्ध मैया, बाबा है कृष्ण,
पशु-पक्षी मुग्ध हो हरि से लिपटे कृष्ण ।।
मामा कंस को बहुत खिझाते कृष्ण,
राधा गोपियों को...