...

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जंग...
#धुल
शुर धुल से घुले मिले हैं
तभी तो रण में डटे पड़े हैं;
हुंकारों से शत्रु घीघ बने पड़े है,
जबसे हैं हुकार लगायी
दुश्मन की जान पर बन आयी
गर्जन है रण वीरों की
फटती है रण में शत्रु की
गूँज रही ध्वनि कटार की
पस्त हुयी सेना शत्रु की
सूरज अस्त होने नही देंगें
जब तक जीत जंग नही लेंगें।