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"सुन ले चीन"
ऑख दिखा तू छोटी छोटी,हम पर रौब दिखा रहा
चलते है जो अंगारो पर , उनको खौफ दिखा रहा
चमगादड़ चूहे खाने वालो,सिंघो से तुम उलझो
भारत मॉ के बेटे है हम,हम जैसो से मत उलझो
उलझ गये जो अब गलती से,नामनिसान मिटा देगे
तेरे ही रद्दी राशन के संग,तेरी चिता जला देगे
हम इंदू जैसे शीतल है,पर दिनकर जैसी है गरमी
भारत मॉ के है बेटे हम,नही ऱक्त मै है नरमी
ज्वाला अंदर धधक रही ,बस चिंगारी की देरी है
बम बारूद है उर के अंदर,बस फटने की देरी है
ऑखो मै लेकर अंगारे,निकलेगे घरके ध्रवतारे
ऑख नोचकर ले आयेगे,भारत मॉ के रखवारे
चेऊ जेऊ करते हो तुम,हम मेऊ मेऊ करवायेंगे
युध्य हुआ गर अबकी बारी,नाको चने चबवायेंगे
नेपाल पाक को भूल चीन तू,काम नही बो आयेगे
भारत के एक सिंघनॉद पर,जाकर वो छिप जायेगे
स्बरचित कविता राजा आदर्श गर्ग
चलते है जो अंगारो पर , उनको खौफ दिखा रहा
चमगादड़ चूहे खाने वालो,सिंघो से तुम उलझो
भारत मॉ के बेटे है हम,हम जैसो से मत उलझो
उलझ गये जो अब गलती से,नामनिसान मिटा देगे
तेरे ही रद्दी राशन के संग,तेरी चिता जला देगे
हम इंदू जैसे शीतल है,पर दिनकर जैसी है गरमी
भारत मॉ के है बेटे हम,नही ऱक्त मै है नरमी
ज्वाला अंदर धधक रही ,बस चिंगारी की देरी है
बम बारूद है उर के अंदर,बस फटने की देरी है
ऑखो मै लेकर अंगारे,निकलेगे घरके ध्रवतारे
ऑख नोचकर ले आयेगे,भारत मॉ के रखवारे
चेऊ जेऊ करते हो तुम,हम मेऊ मेऊ करवायेंगे
युध्य हुआ गर अबकी बारी,नाको चने चबवायेंगे
नेपाल पाक को भूल चीन तू,काम नही बो आयेगे
भारत के एक सिंघनॉद पर,जाकर वो छिप जायेगे
स्बरचित कविता राजा आदर्श गर्ग
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