...

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ऐ जिंदगी तेरा शुक्रिया...
ऐ जिंदगी तेरा भी शुक्रिया
मिटाने के लिए मन की गलतफहमियां ।
सिखा दिया कुछ बहुत ही जरूरी पाठ
जिसे समझा ना पाई कई किताबें विख्यात ।

इंसानों को समझना तुझ से है जाना,
जगत से था आज तक मैं अंजाना ।
परायों को भी अपना ही माना,
अपनों को कभी ना पहचाना।

कैसे तेरा कर्ज चुका पाऊंगा,
अब ना किसी को पलकों पर बिठाऊंगा।
हम तो समझते रहे मतलबियों को अपना,
अपने ही तो है सब, देते रहे ऐसा मन को सांत्वना ।

कुछ उथल पुथल क्या हुआ मेरे बहार में,
पत्तों की तरह गिर गए रिश्ते बजार में ।
चलो कम से कम हमें समझ तो आया
ना कोई अपना ना ही पराया ।

फिर से एक बार तेरा शुक्रिया ऐ जिंदगी...तेरा शुक्रिया...!!
{सम्राट}