...

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ख़्वाब!
ख़्वाब

देखे थे ख़्वाब कई,
कुछ थे जैसे टिमटिमाते तारें,
जो ज़िंदगी के फलक पर कुछ देर चमकते हुए खो गए।
देखे ख्वाब तो जाना ये,
के सारे ख्वाब पूरे नहीं होते,
जिंदगी के धूप मे झुलस गए ख्वाबों के वो फूल।
देखे ख्वाब तो अनुभव किया,
कि सपने मेरे जिम्मेदारी के तूफ़ान मे दम तोड़ गए,
मेरे अपने ख्वाब...