प्रेम कल्पना बिन अर्द्धनारीश्वर, बहुधा नश्वर
नहीं छोड़ते हाथ, साथ
पुचकारते वो हर बात
माता-पिता और सच्चे रिश्ते
ज़िंदगी बीत जाती हंसते-खेलते
रिश्ता समझना कितना आसान है
ज़मीन पाताल तक, ऊंचाई आसमान है
साथी , साथ देने-चलने वाला ...
पुचकारते वो हर बात
माता-पिता और सच्चे रिश्ते
ज़िंदगी बीत जाती हंसते-खेलते
रिश्ता समझना कितना आसान है
ज़मीन पाताल तक, ऊंचाई आसमान है
साथी , साथ देने-चलने वाला ...