...

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ना सुन सकता ना सुना सकता
ना सुन सकता ना सुना सकता।
ना दिल का हाल बता सकता।

नदी पास मेरे प्यास बहुत
ना अपनी प्यास बुझा सकता।

अब हार गया हर लम्हा जी के ।
ना दिल की आग लगा सकता।

हस्ती तो नहीं कारवा ही सही।
ना मंजिल राह बता सकता।

क्या कहूं क्या ना कहूं क्या बना और क्या मिटा सकता।
प्यार कितना दिल में काश की तुमको दिखा सकता।
अलग चाहत सबसे अलग सोच ।
ख्वाबों में जा के सिखा सकता।

ना दीन को चैन ना रात को सुकुं।
बिन बोले तुम्हे बतला सकता।

ना जी सकता ना मर सकता।
तेरे याद में कुछ गुनगुना सकता।

कितने साए साथ तेरे ।
तुझको यकी दिला सकता ।

ना मुजरिम ना दुश्मन ।
दोस्ती का नाता निभा सकता।

किस हकीकत से समझाऊं।
थोड़ा ऐहसास करा सकता।

बंजर भूमि में भी मै।
दो प्यार का अंकुर लगा सकता


© navneet chaubey