...

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जब तुम आओगे
तुम्हारे आने के सैकड़ों ख्वाब सजाती हूं
कौन हो तुम? तुम्हारा नाम क्या?
किस गली रहते हो? करते काम क्या?
कुछ भी तो न मैं जानती हूं
पर मन ही मन तुम्हारी एक तस्वीर बनाती हूं

इक खत लिखा है तुम्हारे नाम
जब आओगे तब पढ़ कर सुनाऊंगी
कितने पहर गुजारे है तुम्हे सोच कर
इक - इक पल गिनवाऊंगी
फिलहाल बेनाम है वो खत
तुम्हारा नाम उस पर तुम्ही से लिखवाऊंगी
अंजली