दो चार कदम.....
दो चार कदम पे तुम हो
सात समुद्र पार पे हम है,
जो दूरियां रोक ना सकी,
वो अब मीलों से भी कम है।
जीना है तो हंस के जियो,
फिर चाहे कितने लाख गम है।
ये जीवन फिर किस मतलब का,
जब अपनों से रूठे हम है।
अब...
सात समुद्र पार पे हम है,
जो दूरियां रोक ना सकी,
वो अब मीलों से भी कम है।
जीना है तो हंस के जियो,
फिर चाहे कितने लाख गम है।
ये जीवन फिर किस मतलब का,
जब अपनों से रूठे हम है।
अब...