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ये कैसा इश्क़ है ?
दूर जाते भी नहीं
पास आते भी नहीं
बातें करते भी हो
कुछ बताते भी नहीं
हमसे कहते तो हो
पर जताते भी नहीं
कुछ कस्में भी हैं
जिसे निभाते भी नहीं
ये कैसा इश्क़ है
या हैं कोई ज़िम्मेदारी
तुम करते भी हो
और निभाते भी नही
नज़्में लिखते भी हो
और सुनाते भी नहीं
तुम हँसते भी हो
पर मुस्कुराते भी नहीं
मुझे भूले भी हो!
भूल पाते भी नहीं
ग़लती करते भी हो
पछताते भी नहीं
ये कैसा इश्क़ है
या हैं कोई ज़िम्मेदारी
तुम करते भी हो
और निभाते भी नहीं
© Ish kumar
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