...

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हद...
हाँ हद से गुजरा था मैं...
हूनरबाज था मैं भी किसी रोज.
ना जाने कितने दिलों में उतरा था मैं...
हाँ हद से गुजरा था मैं...
सुनी थी बातें मैंने भी महबूब की..
कहाँ था मैंने भी सनम को..
शौक खुद के खोकर..
किसी राह से गुजरा था मैं...
हाँ हद से गुजरा था मैं...
बुजुर्गों ने समझाया था बहुत..
उन बातों को.. उन मजबूरीयों को..
उन सब से कब उबरा था मैं...
हाँ हद से गुजरा था मैं