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मन के दराजों में छिपे विचार
#छिपेविचार

हम सब में है एक दोहरा व्यवहार,
सबने संजोए रखा है एक "दराज"
बंद है जिसमें ढेरों "छिपे विचार"।

एक है दिखाने को,
दूसरा है छिपाने को,
कोई ज़रा झांक तो ले इसमें,
यह हमें कतई नहीं स्वीकार।

कथनी-करनी में है विसंगति
बस मिथ्या का है ये विस्तार।
मन में है रहस्य कुछ और,
किन्तु मुंह पर है आभार!
दिल और दिमाग के इस द्वंद्व में
हर कोई है बस लाचार।
चाहे कितना भी करो इनकार,
पर "पीठ" पर रहते हैं ये सवार
दराजों में छिपे ये विचार।

हर एक जज़्बात जताना ज़रूरी नहीं
हर एक बात बताना ज़रूरी नहीं
ये दुनिया कर देगी तुम्हें,
मानसिक रूप से बीमार
अगर ज़ाहिर किए तुमने
अपने सभी छुपे विचार।

दुःख में आते, हमें...