लिख कर एक ख़त छोड़ जाऊँगा मैं
लिख कर एक ख़त छोड़ जाऊँगा मैं
पढ़ोगे जब जब बहुत याद आऊँगा मैं
रहूँगा क़रीब ही महसूस करना तुम
तुमसे दूर आख़िर कहाँ रह पाऊँगा मैं
सुनो..! अपने दर्द मुझे दे दो सारे तुम
लंबे सफ़र पर खाली कैसे जाऊँगा मैं
उल्फ़त तो तुम्हें भी थी इक रोज़ मुझसे
तुम्हारी तरह थोड़ी न भूल जाऊँगा ...
पढ़ोगे जब जब बहुत याद आऊँगा मैं
रहूँगा क़रीब ही महसूस करना तुम
तुमसे दूर आख़िर कहाँ रह पाऊँगा मैं
सुनो..! अपने दर्द मुझे दे दो सारे तुम
लंबे सफ़र पर खाली कैसे जाऊँगा मैं
उल्फ़त तो तुम्हें भी थी इक रोज़ मुझसे
तुम्हारी तरह थोड़ी न भूल जाऊँगा ...