...

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मुहब्बत हो गई है यूं

ना जाने कब मुझे आपसे मुहब्बत हो गई,
साथ चलते , साथ चढ़ते और साथ उतरते बस वही बात हो गई।

किसी गलती की मीठी सी तकरार में,
वो घंटो तक चलती ट्रेन की आवाज़ में,
छुप छुप कर हुए इशारों के बाज़ार में,
फिर वही इश्क की खुशबू दिल में उतारकर, कुछ बात अलग सी हो गई।

रातों को मेसेज में मेरे बारे में पूछने से,
बार बार Tell Me Something Interesting कहकर परेशान करने से,
बेबी को टॉपिक बना कर आपको नाराज़ करके डर तक मानने से,
आज फिर वही प्यार की कश्ती अपनी नदी के पास आगई।

रोजाना प्यार भरे गाने भेज, मुझे सुनाने पर,
मुझे भूखा देख जबरदस्ती खाना खिलाने पर,
स्कूटी पर बैठकर, किस्स करने के सपने दिखाने पर,
आज फिर से वही प्यार की बात दिल से ज़ुबान पर आगाई।

वो हसी और मजाक के बीच में ना जाने कब आपसे मुहब्बत हो गई।