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मिट्टी सा
पतझड़ के मौसम में
ये बिखरा सा पत्ता सा मैं
तेरे आंगन में पवन सा गिरना चाहता हुं
तेरे खुशबू भरी गीली मिट्टी में सन्ना चाहता हुं
तेरे पाव के तले टुकरा बनना चाहता हुं
किसी पेड़ की खाद बन तुझे छाव देना चाहता हुं,
बस तेरा होना चाहता हुं
बस तेरा होना चाहता हुं
© anonymous writer
ये बिखरा सा पत्ता सा मैं
तेरे आंगन में पवन सा गिरना चाहता हुं
तेरे खुशबू भरी गीली मिट्टी में सन्ना चाहता हुं
तेरे पाव के तले टुकरा बनना चाहता हुं
किसी पेड़ की खाद बन तुझे छाव देना चाहता हुं,
बस तेरा होना चाहता हुं
बस तेरा होना चाहता हुं
© anonymous writer
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