...

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क्यों?
सरे आम बिकती है खुश्बू अब बाजारों मे
क्यों मैं तेरे गुलशन की गुलनार नहीं?

हाथ थाम के चलेंगे अपनी मंज़िल की और
क्यों मैं अब...