...

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कोशिश मेरी
उन बिन उन्हीं को पाने की है कोशिश मेरी
उन बिन उन्हीं में जीने की है कोशिश मेरी।

ना जाने कितने तरीके थे मन को मनाने के
हर बार हुई ना काम ये मनाने कोशिश मेरी।

दुनियां वाले भी सही है कहां गलत हैं
लेकिन बार बार हुई गलत ये कोशिश मेरी।

बहुत नाज़ुक सी थी ये सांसों की डोरी
जुदाई को सहने में बीमार रही कोशिश मेरी।

बिन रूह के जिस्म बे जान ही पड़ा था मेरा
बिन सांसों के दिल को धड़काने की थी कोशिश मेरी।

बिछड़ ने की मुबारक बात देनी थी उनको
बहुत खामोश और लाचार थी ये कोशिश मेरी।
© Roshan ara