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आज कुछ लिखते हैं
#WritcoPoemChallenge
#naturelove
#writingpoem

घरी में अभी अभी रात के तीन बजे हैं
इस काली सियाह में अंधेरा और हम जगे हैं
इसमे खास क्या, हर रात तीन बजते हैं
पर चलो आज कुछ लिखते हैं।

रात में पत्तों की सरसराहट,
हवाओं की संसनाहट,
मानो हम से कुछ कहते हैं
चलो आज कुछ लिखते हैं।

सुन पाते हैं अपनी साँस
सुन जाते हैं सुई की आवाज़
जब भी आँखें बंद करते हैं
चलो आज कुछ लिखते हैं।

कोई तो उलझा रखा है बातों में
यूँ ही नहीं जग जाते हैं रातों में
जब भी आवाज़ कानो में परते हैं
चलो आज कुछ लिखते हैं।

कलम उठाए समय निकल गया
सोचते सोचते रेत फिसल गया
ये शब्द भी बहुत द्वंद करते हैं
चलो आज कुछ लिखते हैं।

वक्त खूबसूरत है, प्यारा है
ये अंधेरा, छिपाए उजाला है
ये रात भी दिन का इंतज़ार करते हैं
चलो आज कुछ लिखते हैं।

एक रात जगने में ऐसी बात क्या है
यूँ ही बीतेगे दिन रात, खास क्या है
है खास, क्योंकि हम वर्तमान में रहते हैं
ईसलिए चलो आज कुछ लिखते हैं।।

रवि