...

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हकीकत #1
आज बड़े ही प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था,
था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था,
ना जाने था वो कौनसा अजब खेल,
मेरे घर में मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था।

था पास मेरे मेरा हर अपना उस वक्त फिर भी,
मैं हर किसी के मुँह से बुलाया जा रहा था,
जो कभी देखते भी ना थे।
आज प्यार की निगाह से उनके दिल से भी प्यार मुझपे लौटाया जा रहा था।

मालूम नहीं हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देखकर ज़ोर ज़ोर से रोकर हंसाया जा रहा था। कांप उठी मेरी रूह मेरा वो घर देख कर। पता चला जब मुझे दफनाया जा रहा था रो पड़ा।

फिर मैं भी वो मेरा मंजर देख जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था। था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था बड़े ही प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था......
© KG