...

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चलो!...
आओ मिलकर हम,
मोहब्बत का पैगाम फैलाते हैं।
बन खुशबू प्यार की,
चलो महफिले जाम महकाते हैं।।
होठों पर हो मुस्कान,
चलो ऐसा राज बताते हैं।
न हो दिल में बैर किसी से,
चलो ऐसा मिजाज़ जगाते हैं।।
न हो शर्मसार कोई स्त्री,
चलो ऐसा समाज बनाते हैं।
रूह कांप उठे दुश्मन की,
चलो ऐसा जाल बिछाते हैं।।
न हो जुर्म कोई,
चलो ऐसा मशाल जलाते हैं।
न हो गमे खुदकुशी कोई,
चलो ऐसा माहौल खुशहाल दिलाते हैं।।
न हो मरहूम कोई शख्स ,
चलो ऐसा खुशियों की चाह कराते हैं।
चल पड़े ज़िन्दगी का सफर,
चलो ऐसा मुमकिन राह बनाते हैं।।।
written by ( संतोष वर्मा)
आजमगढ़ वाले.. खुद की जुबानी...