ग़ज़ल
थोडे़ थोडे़ से मैं ज़ियादा हो जाऊँगा
आज इक कतरा हूँ कल दरिया हो जाऊँगा
मुझ पर से होकर इक दिन दुनिया गुजरेगी
पत्थर पत्थर से मैं रस्ता हो जाऊँगा
गावों में मैं रोटी जैसे दिखता हूँ पर
शहरों में जाने पर पिज़्ज़ा हो जाऊँगा
तुम बस बच्चा बनकर तो देखो फिर मैं...
आज इक कतरा हूँ कल दरिया हो जाऊँगा
मुझ पर से होकर इक दिन दुनिया गुजरेगी
पत्थर पत्थर से मैं रस्ता हो जाऊँगा
गावों में मैं रोटी जैसे दिखता हूँ पर
शहरों में जाने पर पिज़्ज़ा हो जाऊँगा
तुम बस बच्चा बनकर तो देखो फिर मैं...