...

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~ मन में एक सवाल है ~
मेरे मन में एक सवाल है
तुम आकर मुझे जवाब दोगे क्या
मेरे दिल पे दिए तुम्हारे ज़ख्मों का
तुम इन्हें मरहम दोगे क्या,

मुझे तो कई अरसा हो गया
इस दर्द - ए - दरिया में जीते हुए
मेरे इस गम-ए-जिन्दगी का
तुम आकर मुझे मलाल दोगे क्या,

क्यों बार - बार कुरेदने चले आते हो
मेरे ज़ख्मी दिल को
अपने किए हर गुनाहों का
तुम आकर मुझे हिसाब दोगे क्या,

अब तुझसे शिकायत भी नही
करना चाहती तेरी बेवफ़ई की
अगर तुम्हे याद करके रो भी दे
तो तुम मुझे रूमाल देगे क्या,

बिन बोले ही सब राज़ अपने सीने में
दफ़न कर जायेंगे
हम मर भी गए तो तुम आकार
मेरे कब्र पे गुलाब दोगे क्या।

"मेरे अल्फाज़" के पन्नों पर
लिख जायेंगे तेरे सभी किस्सों को
कभी अपने ज़ुबान से
तुम आकर इन्हें नवाज़ दोगे क्या ।
© मेरे अल्फाज़....🦋