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मैं स्वतंत्रता चाहती हूँ...
मैं स्वतंत्रता चाहती हूँ....

चरित्र पर होते वारों से ,
प्रतिदिन होते प्रहारों से...
उन भेड़ियों की निघाहों से ;
इन बदलती फिजाओं से...

सुरक्षा का नाम लें लगने वाली कैद सी ;
गलियों में,चौराहों पर....
ताकती भूखी नजरों की भेट से...
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