...

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तेरी याद
मन माणिक मन पन्ना होए
जिसमें तेरी याद समोए
मैं बैठी थीं नींद किनारे
तेरे स्वप्न और याद संजोए
मेरे अक्षर धाम पधारो
इसमें गंगा जमुना होए
दो ही रंग बसे हिया में
मन उजला मन पावन होए
धागे प्रीत के उजले उजले
गांठें मन में दर्द को बोए
ऐसे वक़्त गुज़ारा हमने
जब जागे जब सब जग सोए
तुझ संग प्रेम था ऐसा प्रेमी
पत्थर पूज के पागल होए
उसको ही हम खो के बैठें
जिसकी भी हम आस में रोएं
मेघा बरसे काले काले
जब बिरहन पनघट पे रोए