...

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उम्मीद
प्रीती करी थी तुमने ,पर प्रीती रही नही
डोर थी भाव की सुलझ सुलझ कर उलझ गई
हरकते प्यार वाली पत्थर के समान हो गई
मेरी भावनाएं अब खंडहर के तब्दील हो गई
पेड पौधो की धड़कन सुनने वाला दिल भला इन्सानों में फर्क क्या करेगा.... huunnyy
बस दिल के साथ उम्मीदे टूट गई
और आँखे गीली....