...

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कब आए सवरियां

पकत बेरियां आम बउरिया,
आए बसंत की झरझर पूछें,
अट्टहास कर गई बयरिया,
काह खबर कब आए सवरियां।

मन झुंझलाए तन मोरा रीझे,
सुन सुन बतियां नैना सीझे।

बन बैठा हृद प्रेम का राही,
चुटकी लेती अलसी लाही।
भोर धूरि- धूरि हुई अब,
राह निहारत अखियां रुठी।
रंग फगुन कहे ऐसे...