जलियांवाला बाग हत्याकांड ~ १३ मार्च १९१९
आया माह वैशाख का, हर तरफ खिली हरियाली थी,
सुगंधित थे पुष्प यहाँ के, हरी-भारी हर डाली थी।
नील हुआ था विशाल गगन, मिट्टी चमकती खाकी थी,
खास दिन था सबके लिए, उस दिन ही तो बैसाखी थी।
बाग में मेला लगा था, बच्चे-बूढ़े सब आये थे,
कोई बेचने, कोई खरीदने सब त्योहार मनाने आये थे।
फिरंगियों के खिलाफ एक शांत सभा की भी तैयारी थी,
कोई बड़े संग्राम की एक छोटी सी चिंगारी थी।
एक दुर्जन, एक पापी जनरल डायर आया था,
सहस्त्र सिपाहियों संघ बाग में हत्या का फरमान लाया था।
उस पापी ने, उस नरभक्षक ने गोली जब चलवाई थी,...
सुगंधित थे पुष्प यहाँ के, हरी-भारी हर डाली थी।
नील हुआ था विशाल गगन, मिट्टी चमकती खाकी थी,
खास दिन था सबके लिए, उस दिन ही तो बैसाखी थी।
बाग में मेला लगा था, बच्चे-बूढ़े सब आये थे,
कोई बेचने, कोई खरीदने सब त्योहार मनाने आये थे।
फिरंगियों के खिलाफ एक शांत सभा की भी तैयारी थी,
कोई बड़े संग्राम की एक छोटी सी चिंगारी थी।
एक दुर्जन, एक पापी जनरल डायर आया था,
सहस्त्र सिपाहियों संघ बाग में हत्या का फरमान लाया था।
उस पापी ने, उस नरभक्षक ने गोली जब चलवाई थी,...