नका़ब
हर कोई घायल हैं यहाँ,
जख़्म हर किसी को मिलें हैं,
घायल दिल सीनें में छुपाकर,
चेहरें पर मुस्कुराहट का दिखावा करते हैं।
उदासियाँ जहन में रख कर,
खुशियों की तलाश करते हैं,
भागते हर दम दूसरी चीजों की तरफ,
पर वो जो पास हैं अपने,
उसे कहीं संभालना भूल जाते हैं।
कुछ बातें चिल्ला कर,
कुछ बातें खामोशी में जता कर,
सब कुछ ठीक होने का दिखावा,
बेहतरीन करते हैं।
बिखरा हुआ होनें के बावजूद,
मजबूत होनें का दिखावा,
जोरों शोरों से करते हैं,
पता लग ना जाये दूसरों को,
खामियों की चाबी,
डरा-डरा दिल बेचारा,
समेट लेता खुद को लोगों से दूर,
हर रात मरता, बिखरता,
पर खामोशी होंठों पर रखता।
जज़्बात खिलौना हैं यहाँ,
खेलें हज़ारों हैं यहाँ,
एक भी मिला नहीं,
जिसने सहेजा हो हमें,
यहाँ तो लोहे का हथौड़ा हाथ में लिए,
हर नुक्कड़ पर खड़े हज़ार लोग,
इंतज़ार में मिलते हैं।
शाबाशियाँ तानों की खैरात में,
मिलती हैं जैसें यहाँ,
तन्हाईयां चार दीवारों की हर,
सीनें में बसती हैं यहाँ,
खोया सामान एक बार ढूँढ़ ले इंसान फ़िर भी,
पर जब खो गया खुद हीं,
तो जाके ढूँढें कहाँ।
चिल्लाया, बुलाया हर किसी को यहाँ,
पर हालात तो देखो,
वो आज भी अकेला खड़ा है वहाँ,
पर कोई आया ही नहीं,
और फिर लोग कहते हैं कि,
तुमने बुलाया ही कब था।
© shivika chaudhary
जख़्म हर किसी को मिलें हैं,
घायल दिल सीनें में छुपाकर,
चेहरें पर मुस्कुराहट का दिखावा करते हैं।
उदासियाँ जहन में रख कर,
खुशियों की तलाश करते हैं,
भागते हर दम दूसरी चीजों की तरफ,
पर वो जो पास हैं अपने,
उसे कहीं संभालना भूल जाते हैं।
कुछ बातें चिल्ला कर,
कुछ बातें खामोशी में जता कर,
सब कुछ ठीक होने का दिखावा,
बेहतरीन करते हैं।
बिखरा हुआ होनें के बावजूद,
मजबूत होनें का दिखावा,
जोरों शोरों से करते हैं,
पता लग ना जाये दूसरों को,
खामियों की चाबी,
डरा-डरा दिल बेचारा,
समेट लेता खुद को लोगों से दूर,
हर रात मरता, बिखरता,
पर खामोशी होंठों पर रखता।
जज़्बात खिलौना हैं यहाँ,
खेलें हज़ारों हैं यहाँ,
एक भी मिला नहीं,
जिसने सहेजा हो हमें,
यहाँ तो लोहे का हथौड़ा हाथ में लिए,
हर नुक्कड़ पर खड़े हज़ार लोग,
इंतज़ार में मिलते हैं।
शाबाशियाँ तानों की खैरात में,
मिलती हैं जैसें यहाँ,
तन्हाईयां चार दीवारों की हर,
सीनें में बसती हैं यहाँ,
खोया सामान एक बार ढूँढ़ ले इंसान फ़िर भी,
पर जब खो गया खुद हीं,
तो जाके ढूँढें कहाँ।
चिल्लाया, बुलाया हर किसी को यहाँ,
पर हालात तो देखो,
वो आज भी अकेला खड़ा है वहाँ,
पर कोई आया ही नहीं,
और फिर लोग कहते हैं कि,
तुमने बुलाया ही कब था।
© shivika chaudhary