...

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शिखस्ता नहीं है वो...
शिखस्ता नहीं है वो,
फख्त कोई बेबसी है उसकी,
मुझे इंतज़ार है उसका,
मैं सुकून जो हूँ उसका
क़ुर्ब कोई नहीं उसके
हैरान नहीं वो फिर भी,
बज़्‍म-ए-यारा हूँ मैं उसका,
उनस हूँ मैं उसका
निगाहें कहती हैं उसकी,
कफस मैं है वो किसी की
नाराज़ है वो उस बारां से,
मुन्तज़िर है वो उसकी
शिकायते हैं उसकी
कि कोई सुनता नहीं उसकी
खामोशियाँ बयां करती उसकी
मुख्तलीफ़ वो इस दुनिया से!!!
© #Rk..✍