...

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कर्मा ऐसा भी
वो दिन भर बाहर रहकर,
घर में चूल्हा जलवाता था।
वो फटकार मार,
प्यार जताया करता था।
और वो गोद में सर मेरा रख सहलाती थी,
फटकार से बचाने को आंचल में छिपाती थी,
खुद का निवाला भी जो मेरे नाम करती थी।
उन दोनों के उपकारों ने ,
मुझे इस लायक जो बनाया था,
मैं अंधा हुआ, कामयाबी ने जो...