...

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ज़िन्दगी की रफ्तार
दूर जाता है वही जो दिल के सबसे अज़ीज़ है,
ज़िन्दगी की रफ्तार भी कितनी अजीब है...

मान बैठो जिसे अपना मान,
गुस्से में वही कर देता है हमारा अपमान,
दूर जाता है वही जो दिल के सबसे अज़ीज़ है,
ज़िन्दगी की रफ्तार भी कितनी अजीब है....

जिस इंसान से जोड़ लो अपनी सुख की उम्मीदे सारी,
आँसुओ को देकर लाता है वो हमारी दुख की बारी,
दूर जाता है वही जो दिल के सबसे अज़ीज़ है,
ज़िन्दगी की रफ्तार भी कितनी अजीब है....

मान बैठो जिसे अपनी ज़िन्दगी का खुदा,
वो हो जाता है हमसे हमेशा के लिए जुदा,
रह जाती है बस हसीन यादें और तन्हाइयो की गूंज,
दूर जाता है वही जो दिल के सबसे अज़ीज़ है,
ज़िन्दगी की रफ़्तार भी कितनी अजीब है....








© DM मन की बातें