...

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आशिक़

एक आशिक़ था मुझमें जो
बेवक्त भटकता था तेरी राहों से,
खुद से बातें करता था अक्सर
यूं इश्क़ करता था तेरी अदाओं से,
अब शायर क्या हुआ नज़्में भी
बहकने लगीं आज
लोग एक सच पढ़के बहक जाते हैं
और मुकरने लगा हूं अपने घावों से......



© palak