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बस मिट्टी रह जायेगी... 💯✍️✍️(नज्म)
धन दौलत सब तेरी वन्दे
यही इकट्ठी रह जायेगी
बंधी तेरी आंखों पर फिर
धन की पट्टी रह जायेगी

सेवा कर कुछ पुण्य कमा
कर ले कुछ सत्कर्म जमा
यही खड़ी की खड़ी तेरी सब
अट्टा - अट्टी रह जायेगी


चरित्र बना लें सोने का
बुढ़ापे में कुछ न होने का
लकड़ियों पे कसी काया
हट्टी- कट्टी रह जायेगी

जिस काया पे अभिमान तुझे
वो दिखेंगी जब बेजान तुझे
सब चले जायेंगे छोड़ तुझे
जलती भट्टी रह जायेगी

(नोट:-भट्टी की संज्ञा मैंने चिता को दी है )

न दिल दुखा न धोखा दे
तकलीफों को न मौका दे
कहता है 'सत्या' इस तन की
मिट्टी- मिट्टी रह जायेगी

जो बोयेगा वो पायेगा
बिल्कुल न बख्शा जाएगा
होगा हिसाब कर्मों का जो
गुम सिट्टी-पिट्टी रह जायेगी

बस मिट्टी रह जायेगी
बस मिट्टी रह जायेगी


© Shaayar Satya