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भावी पीढ़ी
हो हृदय मेरा या तुम्हारा,
रहे सदैव अभिलाषा से भरा।
परिपूर्ण न हों जब ख्व़ाब,
गहन हलचल,मांगती जवाब।
हो जायें फिर दफन गहरे,
हसरतें जो निकले बांध सेहरे।
भावों की नाव डगमगाये,
पस्त हौंसले उसी को हैं डूबायें।
किनारों की करते तलाश,
कहे न बैठ होकर कभी हताश।
चढ़कर पहली देख सीढ़ी,
बन ऐसा,याद करे भावी पीढ़ी।
संघर्ष मांगे है बलिदान,
कर तन्मयता से,न बन शैतान।
हासिल करके मंज़िलें,
सजा कामयाबी की महफ़िलें।
© Navneet Gill
रहे सदैव अभिलाषा से भरा।
परिपूर्ण न हों जब ख्व़ाब,
गहन हलचल,मांगती जवाब।
हो जायें फिर दफन गहरे,
हसरतें जो निकले बांध सेहरे।
भावों की नाव डगमगाये,
पस्त हौंसले उसी को हैं डूबायें।
किनारों की करते तलाश,
कहे न बैठ होकर कभी हताश।
चढ़कर पहली देख सीढ़ी,
बन ऐसा,याद करे भावी पीढ़ी।
संघर्ष मांगे है बलिदान,
कर तन्मयता से,न बन शैतान।
हासिल करके मंज़िलें,
सजा कामयाबी की महफ़िलें।
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