...

13 views

आसान है क्या
सारी रात करवटों में कट जाना आसान है क्या,
अपनी बाहों में खुद ही सिमट जाना आसान है क्या।
मेरी रूह जो अब बिछड़ी हुई लगती है मुझसे,
उसका बेहिसाब हिस्सों में बँट जाना आसान है क्या।।1

फिर किसी से इश्क़ करना इतना ग़लत क्यों है,
जब दिल पर लकीरों का ज़ोर नहीं चलता।
हर दफ़ा वो और मैं आमने-सामने होते हैं,
फिर चाहे ये पाँव उसकी ओर नहीं चलता।।2

उसके नज़दीक होने की वाहिमा करना भी तो इश्क़ है ना,
तो उसके सामने आने पर नज़रअंदाज़ करना मुमकिन कैसे।
जिसके साथ जीना चाहती हूँ मैं ना जाने कितने जन्म,
उसके इश्क़ में इतनी आसानी से मरना मुमकिन कैसे।।3

उसे पल भर में ही सौ दफ़ा देख लेना भी तो इश्क़ है ना,
उसकी आवाज़ सुन आँखों का भर जाना भी तो इश्क़ है ना।
उससे दूर जाने की नाकाम कोशिशें करना और फिर,
उसके ज़िक्र से ही कदमों का ठहर जाना भी तो इश्क़ है ना।।4

उसके साथ होने के ख़्वाबों में खुद को तड़पाना आसान है क्या,
उसे किसी और का होता देख खुद को समझाना आसान है क्या।
कभी उसकी हथेली पर जो मैंने लिखी थीं इबारतें मोहब्बत की,
उस बेबुनियादी ख़्वाब का हक़ीक़त में बदल जाना आसान है क्या।।5
~रूपकीबातें
#रूपकीबातें #roopkibaatein #roopanjalisinghparmar #roop
© रूपकीबातें