“हिमायत में भी नहीं, जिस्म आजकल"
इम्तिहान में, सब्र है, हमनशी,,
मर्ज क्या है ?
मर्ज है, दिलकशी,,
ये खून भी, शराफत,
दिखाए कब तक,,
चाहता है, निकलना बाहर,
कहां ये, जान फंसी,,
कहीं कुर्बानी, “नसीब",
हमारे तो नहीं,,
चलो...
मर्ज क्या है ?
मर्ज है, दिलकशी,,
ये खून भी, शराफत,
दिखाए कब तक,,
चाहता है, निकलना बाहर,
कहां ये, जान फंसी,,
कहीं कुर्बानी, “नसीब",
हमारे तो नहीं,,
चलो...