...

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आजाद हो।
अब तुम मुझसे बिछड़ कर जा सकते हो,
आजाद हो।
चाहो फिर तो ख़्वाब में आ सकते हो,
आजाद हो।
मैं मुहब्बत की ही बात भला क्यूँ करूं
तुम नफ़रत भी निभा सकते हो,
आजाद हो।
बिछड़ो गर तो मेरी रूह से भी बिछड़ जाना
और मुझमें सदा के लिए समा सकते हो,
आजाद हो।
मुझसे बेवफ़ाई पर शर्मिंदा नहीं होना
किसी और से चाहो तो मुहब्बत निभा सकते हो,
आजाद हो।