ढ़लती हुई साँझ देखो चुप कितनी है.
ढ़लती हुई साँझ देखो चुप कितनी है,
हुआ है क्या कैसे पूछे नाराज इतनी है.
आये नहीं जो आँखों में इंतज़ार दे के,
फिक्र दिल को उस की क्यों करनी है.
इश्क़ कर बहुत किया...
हुआ है क्या कैसे पूछे नाराज इतनी है.
आये नहीं जो आँखों में इंतज़ार दे के,
फिक्र दिल को उस की क्यों करनी है.
इश्क़ कर बहुत किया...