यूँ ही रुठोगे
यूँ ही रुठोगे तुम तो फिर गुजारा हो नहीं सकता
हैं जो भी ख्वाब वो सच में हमारा हो नहीं सकता
मुझे तुमसे मोहब्बत है तो इतना क्यों सताते हो
जो खोया तुमने तो तेरा दोबारा हो नहीं सकता
हँसाके एक पल खांमोशियाँ देते हो दिन भर की
मुझे अंदाज ये तेरा गवारां हो नहीं सकता
भले तुम सब जतन करलो मगर दिल तोड़ दोगे तो
निगाहों से मेरी जानां इशारा हो नहीं सकता
मेरे ही सामने गैरों से मिलते हो बताओं क्या
कि इतना दुख भरा कोई नज़ारा हो नहीं सकता
संमन्दर में जो यूं गोते लगाते हो सुनो जानां
किसी दिन देखना तेरा किनारा हो नहीं सकता
बहक जाए भले आस़ार गजलों के कमाल तेरे
तेरे लहज़े से अच्छा कुछ भी प्यारा हो नहीं सकता
By..Kamaal Husain✍️
#Gazal