चांद
चांद मेरा जनता हैं मैं मिलूंगी उसे खिड़की पर
डेरा वही होगा मेरा सुकून वाली खिड़की पर
मेरा अकेला चांद और उस चांद का उजाला
एक होते होते बतियाते हैं उस खिड़की पर
दुआ करते हैंआकाश से सहृदय मिलकर
ग्रहण कभी न आए हयातभर उस खिड़की पर
डेरा वही होगा मेरा सुकून वाली खिड़की पर
मेरा अकेला चांद और उस चांद का उजाला
एक होते होते बतियाते हैं उस खिड़की पर
दुआ करते हैंआकाश से सहृदय मिलकर
ग्रहण कभी न आए हयातभर उस खिड़की पर
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