छोड़ी न जाये वो आदत हो तुम
छोड़ी न जाये वो आदत हो तुम
बचपन की मेरी उलफ़त हो तुम
बहुत दिल फ़रेब लगती हो वैसे
संवर लो तो कोई आफ़त हो तुम
मेरी रूह की गहराईयों...
बचपन की मेरी उलफ़त हो तुम
बहुत दिल फ़रेब लगती हो वैसे
संवर लो तो कोई आफ़त हो तुम
मेरी रूह की गहराईयों...