...

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घर लौट आ तेरा सभी को इंतेज़ार है 🙃
गुनगुनाइएगा जरूर 🙃❣️🙃

शहर में भीड़ भाड़ है
करें तो क्या करें
गमों का बस पहाड़ है
सब क्रोध से भरे
पिंजरे में कैद हैं सभी
धुंधला है आसमां
इंसानियत गिरी हुई
ऊंचे हैं बस मकां
चमक रहे सभी मगर
अन्दर से खोखले
वक्त है खुद को अभि
गिरने से रोक ले
बहते हुए नाले में दोहरी जिंदगी को फेक
गाड़ी पकड़ गांव की वापस आके तो देख

होटल में महफिलें मगर
सड़कों में जानवर
खुशियां हैं पल दो पल की
और रोना है सालभर
कोई किसी का है नहीं
सब लोग मतलबी
शीशे को छोड़कर यहां
हर कोई अजनबी
सेल्फी बना के ढेर
खुशमिजाज हो रहा
बचपन की उम्र में तू
उम्रदराज हो रहा
बहते हुए नाले में दोहरी जिंदगी...