...

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कलयुग के इंसान
तूने मानुष जन्म भी तो पाया। रे इंसान.. तू मां की ममता का दुलार भी तो पाया। रे इंसान..। तुने सब कुछ तो पाया रे इंसान। लेकीन तूने हरि को क्यों भुलाया रे इंसान ,..।।

तूने सुदामा की तरह दुःख भी तो न पाया रे इंसान। तूने अपने ही दुःख को बड़ा बताया रे इंसान। तुने अपनो में ही दोष धूड़ा रे इंसान।
तूने अपनो को भी भुलाया रे इंसान।
तूने सबको भुलाया रे इंसान। लेकीन तूने हरी..।।
सुदामा ने हरदम हरि को ही पुकारा रे इंसान। तूने दुःख में ही हरि को पुकारा रे इंसान। सुख में हरि को भुलाया रे इंसान ।
तूने सब कुछ तो भुलाया रे इंसान। तुने हरि ..।

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