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ज़िंदगी और हौसले की उड़ान
ज़िंदगी वो रास्ता है जिसका ना कोई पता है
हैं बहुत से मोड़ इस में खो गया जो गुमशुदा है

ख़्वाब पलते टूटते हैं शख़्स हर इक गमज़दा है
ना भरोसा कोई इसका ख़त्म कब ये सिलसिला है

दर्द ऐसे भी मिलें हैं जिन की कोई ना दवा है
हार मानी जिस किसी ने वो कभी ना जी सका है

है मुकद्दर का ये सौदा कौन जाने क्या बदा है
ठोकरें खाता है कोई ताज कोई को मिला है

हौसलों से जो उड़ा है आसमाँ उसको मिला है
ज़िंदगी "मासूम" हो गर तो ही जीने का मज़ा है

बहर : २१२२ २१२२ २१२२ २१२२
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"